शाहुकार और बुद्धिमान लड़की।
> साहूकार ने कहा कि मैं एक बेग में एक काला और एक सफेद पत्थर रखूंगा। तुम्हारी बेटी को बेग में से एक पत्थर निकालना है। अगर इसने काला पत्थर निकाला तो इसे मुझसे शादी करनी होगी। अगर सफेद पत्थर निकाला तो मैं तुम्हारा पूरा कर्ज माफ कर दूंगा और ये शादी भी नहीं होगी।
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साहूकार ने कहा कि अगर तुम्हारी बेटी बेग से पत्थर नहीं निकालेगी तो इसे शादी करनी होगी और तुम्हें जेल जाना होगा।
> पिता और बेटी के पास साहूकार की बात मानने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। दोनों भगवान पर भरोसा करके इस बात के लिए तैयार हो गए।
साहूकार ने एक बेग लिया और जमीन पर पड़े पत्थरों में से दो पत्थर उठाकर बेग में डाल दिए। ये काम करते हुए लड़की ने साहूकार को ध्यान से देखा। साहूकार ने दोनों ही काले पत्थर बेग में डाल थे। उसने सफेद पत्थर उठाया ही नहीं था।
> अब लड़की सोचने लगी कि क्या करे। उसके सामने तीन विकल्प थे। पहला विकल्प ये कि वह पत्थर निकालने से ही मना कर दे, लेकिन ऐसा करने पर भी उसे शादी करनी होगी।
तीसरा विकल्प ये था कि वह काल पत्थर चुन ले और साहूकार से शादी कर ले। इससे पिता का कर्ज उतर जाएगा और पिता को जेल भी जाना नहीं होगा।
> लड़की भी बुद्धिमान थी, उसने दिमाग चलाया और चौथा विकल्प खोज लिया। लड़की ने बेग में हाथ डाला और एक पत्थर निकालते ही उसे नीचे गिरा दिया। लड़की ने बोला कि एक पत्थर मैंने निकाला, लेकिन हाथ से छुट गया है। नीचे काले-सफेद बहुत सारे पत्थर पड़े हुए थे। ऐसे में ये नहीं मालूम कि पत्थर कौन सा था।
> लड़की ने कहा कि कोई बात नहीं अभी मैं जो पत्थर है, उससे मालूम हो जाएगा कि मैंने कौन सा पत्थर निकाला था। बेग में देखा तो उसमें काला पत्थर था। लड़की ने तुरंत कहा कि इसका मतलब मैंने सफेद पत्थर निकाला था।
> साहूकार लड़की का मुंह देखते रह गया। वह कुछ बोल भी नहीं सका, क्योंकि उसने तो चतुराई से दोनों काले पत्थर ही बेग में रखे थे।
> इस तरह लड़की ने बुद्धिमानी से अपने पिता का कर्ज माफ करवा दिया और साहूकार से शादी करने से भी बच गई।
कथा की सीख
इस कथा की सीख यह है कि परेशानी कितनी भी बड़ी हो, अगर धैर्य के साथ अलग तरीके से सोचा जाए तो बड़ी-बड़ी परेशानियां भी हल हो सकती हैं।
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