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Showing posts from May, 2023

प्रेरक प्रसंग:कामयाब नहीं, काबिल बनो।

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कामयाब नहीं, काबिल बनो। =================== पिता बेटे को डॉक्टर बनाना चाहता था। बेटा इतना मेधावी नहीं था कि NEET क्लियर कर लेता। इसलिए  दलालों से MBBS की सीट खरीदने का जुगाड़ किया । ज़मीन, जायदाद, ज़ेवर सब गिरवी रख के 35 लाख रूपये दलालों को दिए, लेकिन अफसोस वहाँ धोखा हो गया। अब क्या करें...? लड़के को तो डॉक्टर बनाना है कैसे भी...!!

प्रेरक प्रसंग: उपकार

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प्रेरक कहानी : उपकार रमाशंकर की कार जैसे ही सोसायटी के गेट में घुसी, गार्ड ने उन्हें रोक कर कहा.. . “साहब, यह महाशय आपके नाम और पते की चिट्ठी ले कर न जाने कब से भटक रहे हैं।” . रमाशंकर ने चिट्ठी ले कर देखा, नाम और पता तो उन्हीं का था, पर जब उन्होंने चिट्ठी लाने वाले की ओर देखा तो उसे पहचान नहीं पाए।  . चिट्ठी एक बहुत थके से बुज़ुर्ग ले कर आए थे। उनके साथ बीमार सा एक लड़का भी था।  .

कहानी:देना है तो साथ दो,सलाह नहीं चाहिए।

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प्रेरक कहानी: साथ दीजिए,सलाह नहीं। राजस्थानी reels देखने के लिए फोटो पर क्लिक करें । एक बार एक पक्षी समुंदर में से चोंच से पानी बाहर निकाल रहा था। दूसरे ने पूछा भाई ये क्या कर रहा है...  पहला बोला  समुंदर ने मेरे बच्चे डुबा दिए हैं , अब तो इसे सुखा कर ही रहूँगा।  यह सुन दूसरा बोला भाई तेरे से क्या समुंदर सूखेगा।  तू छोटा सा और समुंदर इतना विशाल। तेरा पूरा जीवन भी लग जायेगा तो भी तु समुद्र का कुछ नहीं बिगाड़ सकता है ।  पहला बोला  देना है तो साथ दे,सलाह नहीं चाहिए। यह सुन दूसरा पक्षी भी साथ लग लिया। ऐसे हज़ारों पक्षी आते गए और दूसरे को कहते गए  सलाह नहीं,साथ चाहिए।  

प्रेरक प्रसंग: बंदर और शेर के स्वभाव वाले व्यक्तियों में अंतर

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प्रेरक प्रसंग:  बंदर और शेर के स्वभाव वाले व्यक्तियों में अंतर। एक आदमी और उसकी पत्नी चिड़ियाघर घूमने गए।  पक्षियों और जानवरों को देखते-देखते वो बंदर के पिंजरे के पास पहुंचें।  वहां उन्होंने देखा कि एक बंदर अपनी मादा के साथ बड़े प्यार से खेल रहा था। यह देखकर पत्नी ने बड़े उत्साह से अपने पति से कहा: देखो, कितना रोमांटिक जानवर है।  अपनी मादा के साथ  कितने प्यार से खेल रहा है।  पति चुप रहा। पति-पत्नी आगे गए,  तो उन्हें शेर का पिंजरा नज़र आया। वहां उन्होंने देखा कि शेर और शेरनी दूर-दूर बड़े आराम से बैठे थे।  खामोश शेर एक कोने में अकेला बैठा था जैसे शेरनी का कोई अस्तित्व ही नहीं हो। यह देखकर पत्नी ने थोड़े दुखी मन से कहा: कैसा जानवर है।  बिलकुल अलग ही बैठा है,  जैसे शेरनी को जानता ही नहीं।  इनका आपस में बिलकुल प्यार नहीं लगता।  पति से रहा नहीं गया।

प्रेरक प्रसंग:मनुष्य शाकाहारी है या मांसाहारी ??

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 शाकाहार की महिमा मनुष्य मांसाहारी है या शाकाहारी है.....  एक बार एक चिंतनशील शिक्षक ने अपने 10th स्टेंडर्ड के बच्चों से पूछा कि आप लोग कहीं जा रहे हैं और सामने से कोई कीड़ा मकोड़ा या कोई साँप छिपकली या कोई गाय-भैंस या अन्य कोई ऐसा विचित्र जीव दिख गया, जो आपने जीवन में पहले कभी नहीं देखा हो, तो प्रश्न यह है कि आप कैसे पहचानेंगे कि वह जीव अंडे देता है या बच्चे ? क्या पहचान है उसकी ? अधिकांश बच्चे मौन रहे जबकि कुछ बच्चों में बस आंतरिक खुसर- फुसर चलती रही... । मिनट दो मिनट बाद फिर उस चिंतनशील शिक्षक ने स्वयम ही बताया कि बहुत आसान है,, जिनके भी कान बाहर दिखाई देते हैं वे सब बच्चे देते हैं और जिन जीवों के कान बाहर नहीं दिखाई देते हैं वे अंडे देते हैं.... ।। फिर दूसरा प्रश्न पूछा कि- ये बताइए आप लोगों के सामने एकदम कोई प्राणी आ गया... तो आप कैसे पहचानेंगे की यह शाकाहारी है यामांसाहारी ?

प्रेरक प्रसंग:शब्दों का सही चयन।

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 *प्रेरक कहानी:  शब्दो का सही चुनाव* राजस्थानी REELS देखने के लिए फोटो पर क्लिक कीजिए। एक बार एक राजा ने स्वप्न में देखा कि उसके सारे दाँत टूट गये है, केवल सामने का एक बड़ा दाँत ही मुँह में बचा हैं।          सुबह राजा ने दरबार में अपना स्वप्न सुनाया, और उसका प्रतिफल जानना चाहा। मंत्रियों ने सलाह दी कि स्वप्न विशेषज्ञों को बुलाकर स्वप्न का फलादेश पूछा जायें।          राज्य में ढिंढोरा फिरवा कर घोषणा कि गयी कि जो भी विद्वान, ज्ञानी, राजा को उनके स्वप्न का फलादेश बतायेगा, उसे उचित ईनाम दिया जायेगा। कई व्यक्ति दरबार में आये, परन्तु कोई भी राजा को सही जवाब से संतुष्ट नहीं कर सका।

तजुर्बा

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 तजुर्बा तजुर्बा किस प्रकार हमारी गलतियों को कम कर देता है और हमे विशिष्ट लोगों की श्रेणियों में लाकर खड़ा कर देता है, इसे इस लघु-कथा के माध्यम से समझा जा सकता है । एक बार की बात है एक बहुत बड़ा समुद्री जहाज पर्यटकों को लेकर एक सफ़र पर निकला था। कुछ समुद्री मील यात्रा करने के बाद अचानक जहाज का इंजन खराब हो गया। कैप्टन और वहाँ मौजूद इंजीनियरों ने इंजन को ठीक करने की काफी कोशिश की पर इंजन ठीक ही नहीं हो रहा था। परिणामस्वरूप लोगों के मन में भय समाने लगा कि पता नहीं अब क्या होगा! अंत में थक-हारकर कैप्टन ने बंदरगाह कार्यालय से संपर्क किया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बंदरगाह से कुछ इंजीनियरों को हेलिकॉप्टर से भेजा गया।  

कवि और जलेबी बाई ।

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कागद ही पर जान गवायों।