प्रेरक प्रसंग: बंदर और शेर के स्वभाव वाले व्यक्तियों में अंतर

प्रेरक प्रसंग: 

बंदर और शेर के स्वभाव वाले व्यक्तियों में अंतर।



एक आदमी और उसकी पत्नी चिड़ियाघर घूमने गए। 

पक्षियों और जानवरों को देखते-देखते वो बंदर के पिंजरे के पास पहुंचें। 

वहां उन्होंने देखा कि एक बंदर अपनी मादा के साथ बड़े प्यार से खेल रहा था। यह देखकर पत्नी ने बड़े उत्साह से अपने पति से कहा: देखो, कितना रोमांटिक जानवर है। 

अपनी मादा के साथ 

कितने प्यार से खेल रहा है। 

पति चुप रहा।


पति-पत्नी आगे गए, 

तो उन्हें शेर का पिंजरा नज़र आया। वहां उन्होंने देखा कि शेर और शेरनी दूर-दूर बड़े आराम से बैठे थे। 

खामोश शेर एक कोने में अकेला बैठा था जैसे शेरनी का कोई अस्तित्व ही नहीं हो। यह देखकर पत्नी ने थोड़े दुखी मन से कहा: कैसा जानवर है। 

बिलकुल अलग ही बैठा है, 

जैसे शेरनी को जानता ही नहीं। 

इनका आपस में बिलकुल प्यार नहीं लगता। 

पति से रहा नहीं गया।


उसने अपनी पत्नी को एक पत्थर दिया और कहा: इस पत्थर को ज़रा शेरनी की तरफ फेंको। 

और जैसे ही पत्नी ने शेरनी की तरफ पत्थर फेंका, 

शेर दहाड़ता हुआ अपनी शेरनी की रक्षा के लिए आगे आया। 

पत्नी थोड़ी डरकर पीछे हट गयी। 

अब पति अपनी पत्नी को वापिस बंदर के पिंजरे के पास ले गया। 

वहां जाकर उसने अपनी पत्नी को एक पत्थर और दिया और कहा: अब इसे बंदरिया की तरफ फेंको। 


जैसे ही पत्नी ने पत्थर फेंका, 

वो बंदर की प्रतिक्रिया देखकर हैरान हो गयी। बंदर अपनी मादा को छोड़कर 

खुद की जान बचाने के लिए 

तुरंत पेड़ पर चढ़ गया था।


दोनों जानवरों को प्रतिक्रिया समझाते हुए पति ने अपनी पत्नी से कहा: बंदर की तरह झूठे, और असंवेदनशील लोग अपने खोखलेपन को छिपाने के लिए 

अक्सर इस तरह के बाहरी दिखावे वाले रोमांस का ढोंग करते हैं। 

इससे धोखा मत खाना। 

वहीँ, इसके विपरीत शेर की तरह लोग हैं जो दिखावे से दूर, 

तनावमुक्त होकर अपनी ज़िन्दगी आराम से जी रहे हैं। उनके दिल में 

एक दूसरे के लिए सच्चा प्यार होता है, 

जो समय आने और ज़रूरत पड़ने पर सामने आ जाता है।


दुखद है कि आज के समाज में 

हमारे आसपास बंदर ज्यादा हैं 

और शेर बहुत कम। 


आप क्या हैं.....

                   मैं....... *सत्यानासी

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